ईरानी विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने कहा कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण है और उनका देश कूटनीति के लिए खुला है, लेकिन पहले इजरायल के हमलों को रोकना होगा। इजरायल के सैन्य प्रमुख इयाल ज़मीर ने चेतावनी दी है कि उनके देश को ईरान के खिलाफ़ “लंबे अभियान” के लिए तैयार रहना चाहिए क्योंकि देश पर इजरायल के हमले नौवें दिन में प्रवेश कर गए हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने सार्वजनिक रूप से अपने राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गबार्ड को फटकार लगाई है, उन्होंने कहा कि उनका यह कहना गलत था कि ईरान द्वारा परमाणु हथियार बनाने का कोई सबूत नहीं है। अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) ने इजरायली हमलों के बाद ईरान की नतानज़ परमाणु सुविधा के अंदर “रेडियोलॉजिकल और रासायनिक संदूषण” से खतरे की चेतावनी दी है, लेकिन वर्तमान में साइट के बाहर रेडियोधर्मिता में कोई बदलाव नहीं हुआ है।

ईरान-इजरायल तनाव: कूटनीति की पेशकश और सैन्य जवाब के बीच सुलगता पश्चिम एशिया
नई दिल्ली (LIVE अपडेट्स):
पश्चिम एशिया एक बार फिर गंभीर तनाव के दौर से गुजर रहा है। ईरान और इजरायल के बीच बढ़ते विवादों के बीच जहां एक ओर ईरान ने बातचीत और कूटनीति का रास्ता अपनाने की बात कही है, वहीं इजरायल ने हमले जारी रखने की कसम खाई है। दोनों देशों के बीच यह तनाव अब एक ऐसे मोड़ पर है, जहाँ एक चिंगारी भी पूरे क्षेत्र को युद्ध की आग में झोंक सकती है।
ईरान की ओर से शांति की पहल
हाल ही में तेहरान में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में ईरानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि ईरान अब भी कूटनीति के लिए पूरी तरह तैयार है। प्रवक्ता ने साफ किया कि उनका देश युद्ध नहीं चाहता और वह क्षेत्र में शांति और स्थिरता को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है।

“हम हर उस रास्ते को अपनाने के लिए तैयार हैं जो इस क्षेत्र में स्थायी शांति और सुरक्षा ला सके। कूटनीति ही एकमात्र समाधान है,”
– ईरानी विदेश मंत्रालय।
इस बयान के जरिए ईरान ने यह संकेत दिया है कि अगर इजरायल वार्ता की मेज पर आने को तैयार हो, तो वह पीछे नहीं हटेगा। हालांकि, यह बयान ऐसे समय आया है जब हाल के दिनों में इजरायल ने ईरान समर्थित ठिकानों पर कई हवाई हमले किए हैं।
इजरायल का जवाब: “हम https://www.aljazeera.com/रुकेंगे नहीं”
दूसरी ओर, इजरायल ने ईरान की कूटनीतिक पेशकश पर सीधे तौर पर प्रतिक्रिया न देते हुए अपने सैन्य ऑपरेशनों को जारी रखने का संकल्प दोहराया है। इजरायली प्रधानमंत्री ने स्पष्ट कहा कि जब तक उनके देश की सुरक्षा पूरी तरह सुनिश्चित नहीं होती, तब तक कोई नरमी नहीं बरती जाएगी।
“हम अपनी सीमाओं की रक्षा के लिए हर आवश्यक कदम उठाएंगे। जो कोई भी हमारे नागरिकों को नुकसान पहुंचाएगा, उसे करारा जवाब मिलेगा,”
– इजरायली प्रधानमंत्री।
इजरायली डिफेंस फोर्सेज (IDF) ने बीते 48 घंटों में कई मिसाइल और ड्रोन हमलों का जवाब हवाई हमलों से दिया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इजरायल ने सीमावर्ती इलाकों में ईरान समर्थित मिलिशिया ठिकानों को निशाना बनाया है।
अंतरराष्ट्रीय चिंता: बढ़ते तनाव से दुनिया चिंतितhttps://www.aljazeera.com/#flips-6374627587112
संयुक्त राष्ट्र (UN), यूरोपीय संघ (EU) और अमेरिका सहित कई वैश्विक शक्तियों ने इस बढ़ते तनाव को लेकर गहरी चिंता जताई है।
UN महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने दोनों पक्षों से संयम बरतने की अपील करते हुए कहा कि:
“यह संघर्ष न केवल ईरान और इजरायल के लिए, बल्कि पूरे मध्य-पूर्व क्षेत्र के लिए खतरनाक हो सकता है। एक और युद्ध इस क्षेत्र को वर्षों पीछे धकेल देगा।”
इसके साथ ही अमेरिका ने भी यह बयान दिया है कि वह अपने सहयोगी इजरायल की सुरक्षा के साथ खड़ा है, लेकिन क्षेत्र में शांति को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
संघर्ष के प्रभाव: दुनिया पर पड़ सकता है असर
अगर यह संघर्ष आगे बढ़ता है, तो इसके प्रभाव सिर्फ इन दो देशों तक सीमित नहीं रहेंगे।
- तेल की कीमतों में उछाल
- व्यापार मार्गों पर संकट
- शरणार्थी संकट
- स्थानीय और वैश्विक अस्थिरता
ये सभी चीज़ें पूरी दुनिया को प्रभावित कर सकती हैं। भारत जैसे देशों को भी ऊर्जा आपूर्ति और कूटनीतिक संतुलन बनाए रखने में चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
निष्कर्ष: अब भी समय है संभलने का
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वर्तमान स्थिति बेहद नाजुक है। जहां ईरान की कूटनीतिक पेशकश एक सकारात्मक संकेत है, वहीं इजरायल की कड़ी सैन्य प्रतिक्रिया यह दिखाती है कि असली समाधान आसान नहीं है। अगर दोनों देशों ने जल्दबाज़ी दिखाई, तो यह संकट पूरी दुनिया को प्रभावित कर सकता है।
अब जरूरत इस बात की है कि वैश्विक समुदाय निर्णायक हस्तक्षेप करे और दोनों देशों को वार्ता की मेज पर लाने में सक्रिय भूमिका निभाए।